Monday, 17 February 2014

दुखः सुखः मन म नी लावणा,

दुखः सुखः मन म नी लावणा,
रघुनाथ नी घड़ीया
हरिशचँद्र सरीका हो राजा,
जीन घर तारावंती राणी
अपणा सत् का हो कारणा
भर नीच घर पाणी
नल सरीका हो राजा,
जीनकी दमवंती राणी
अपणा सत् का हो कारणा
नही अन्न आरु पाणी
द्रोपती सरीकी हो राणी,
जीनका पांडव स्वामी
चिर दुःशासन खईची हो रयाँ
चीर पुरावे मुरारी
सीता सरीकी महा सती,
जिनका रामचंद्र स्वामी
रावण कपटी लई हो गया
सुंदर बिल सानी
हनुमान सरीका हो महायोद्धा,
बल मे रे बल वंता
सीता की सुद हो लावीयाँ
चड़े तेल लंगोटा

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