जल जमना पाणी जाण दरी मक
म्हारा माथा पर चोमळ अवजक धरी
नाम थारो नटवर नागर छेः श्याम
माथा पर घागर लगी रयो धाम
घाट पर ठाट लग्यौ जाण दरी
दिन म दीवानी न उज्जैन को राज
चंदा की चांदनी को देखो तुम साज
चम चम चमकर मोती की लरी
मोहन का बोल तु मन म समाळ
क्यो खाई राधा तु न शिर पर साळ
लाल लाल होट थारा हुया दुखरी
खोटा खरा की हमन करी पयचाण
मोहन की घाणी म क्यो नाख्यो घाण
मुरकी कहे तुन बावरी करी
No comments:
Post a Comment