आनन्दराम दिलदार दोस्त तुम माया गया तोड़ी रे
चड़ी गया निर्मल धाम गेल वैकुण्ठ की सीधी पकड़ी
जलम भूमि गोगाँवा की पैदा हुया न हरी भक्त
बोंदर कन्हैया ने लाड़ लड़ाया न किया परीवस्त
नेम धरम से चलो की नेचो राखो साबुत
सरस्वती होय प्रसन्न धन्न धन्न कहे रे हरी भक्त
कण्ठ बसे हिंगलाज न मुख से बरसे अमरीत
खुड़गाँव में रचा आमीन की वा वा सोबत
प्यारा जी तुम बंकट आनन्दराम पूरा शाहिर
प्यारा जी ये अमर नाम मुलुक में किया जाहिर
प्यारा जी चंग उमर लगायो चूरो ज्ञान के घर
सुखलाल सेठ यो झुरे की जोड़ी हंसा की तोड़ी
सुरत नजर नहीं आवे की भाई की नीर लेड़ पगड़ी
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आनन्दराम की आनन्द मूर्ति न बहोत लगती प्यारी
धन धन श्री करतार राम तुन तसवीर उतारी
एक एक रे गुण की कहाँ तलक हाउ वर्णा करू सारी
जंगल बोल्या मोर भाई की बोली लग प्यारी
फागुन महिना तो आव आनन्दराम खोब खेल होली
गावS राग मल्हार शहर का मोया नर नारी
प्यारा जी मणिहार गाव तो ख्याल राग की सुहाणी
प्यारा जी सब मोया नगर का लोग तज्या अन्न पाणी
प्यारा जी ये उड़ता पंख सी अन गिरीया कई धरणी
कब होय रे भरत मिलाप की ममता एक दम सी तोड़ी
कठोर मन मती करो खबर लई जाजो आवजो दौड़ी
खुड़गाँव दरम्यान आनन्दराम हुआ की बीमार
भीकनगाँव लई गया की सर्जन दवा अच्छी कर
करणहार करतार लेख कर्मो का नहीं टर
आया राम का दूत भाई क देखी गया नजर
आट वेद नौ पुराण वो तो जाणे सास्तर
नौ दिन भक्ति कर हरी की माला नीत फेर
प्यारा जी हुई बापू साहेब की खबर करणा विचार
प्यारा जी तुम आनन्दराम क जल्दी लावजो जरुर
प्यारा जी ज्यो छूट्या उठ्या न जुवान गया दस बारह
जब गया रे भाई का पास भाई तुम बैठी जावो गाड़ी
अरे हरिजी का सुमिरण करो अभी लई जाँवा तुमक दौवड़ी
भीकनगाँव सी चल्या की बैरण नहीं खुट्ती वाट
लाखी ऐलालई म आया भाई की न मची रही घबराट
मदनसिंग यूँ कहें कालूराम घेरीया अड़घाट
कोई रे जुवान अब दौड़ो पाणी लावो रे भाई साट
कोई रे जुवान अब दवड़ा की गोगाँवा की पकड़ी ली वाट
डोली करी तैयार कहार संग म लिया आट
प्यारा जी तुम बैठी जावो डोलई म न लई जावा घर
प्यारा जी तुम जीव क रखो संतोष दुःख होय दूर
प्यारा जी तुम जरा तो मुख सी बोलो ज्वान सब झुर
था आपई आप हुसियार भाई न हिम्मत खोब पकड़ी
तन मन करी कपट प्राण क तिन दिन लियो जकड़ी