होत आवेरो निज धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो
हम कारज निर्माण किया,
परमेश्वर को जाणु
मोल रच्यो निजधाम को
जाकर होय रे ठिकाणा
आरे हल्ला बिहार के,
काई लावो रे बयाना
कस के कमर को जायगो
जामे साध समाना
बहु सागर जल रोखीयाँ,
देव झबर निसाणा
चेहरा देखो निहार के
काहे दल को हो धाम
नाम शब्द ने हो राखजो,
बैकुंट को जाणु
सब संतन का सार है
चाहे सोत परवाणो
तीरवर परवाणो कोजीये,
नही देणा भेद
गुरु मनरंग पहिचाणिया
मानो वचन हमारो
जय सिंगाजी की
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